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गुजरात में फर्जीवाड़े से फिर होने लगी चर्चा, हेल्थ कैंप के जरिये प्राइवेट अस्पताल करते हैं एडमिट वाला ‘खेल’…

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Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :- अहमदाबाद में चार मरीजों की गैर जरूरी एंजियोप्लास्टी के बाद मौत का मामला चर्चा में है। प्राइवेट अस्पतालों द्वारा अधिक से अधिक रोगियों को एडमिट करने की चाल चर्चा में है। मेडिकल कैंप वास्तव में अस्पतालों के लिए मार्केटिंग एक्टिविटी है। कैंप में मुफ्त स्वास्थ्य जांच, मुफ्त दवाइयां और अन्य सुविधाएं देकर लोगों को लुभाया जाता है।

चैरिटी या सीएसआर के नाम पर प्राइवेट अस्पताल लगाते हैं मेडिकल कैंप

अहमदाबाद में बिना जरूरत अस्पताल ने की एंजियोप्लास्टी, 4 की मौत

कैंप बाद अस्पताल का मार्केटिंग डिपार्टमेंट रोगियों को करता है टारगेट

 Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :-  अहमदाबाद में चार मरीजों की गैर जरूरी एंजियोप्लास्टी के बाद मौत का मामला गरम है। इस घटना के बाद एक बार फिर मेडिकल कैंप के नाम प्राइवेट अस्पतालों की तरफ से अधिक से अधिक रोगियों को एडमिट किए जाने का खेल चर्चा में आ गया है। आमतौर पर अक्सर चैरिटी या सीएसआर एक्टिविटी के रूप में लेबल किए जाने वाले मेडिकल कैंप वास्तव में प्राइवेट हॉस्पिटल के लिए मार्केटिंग एक्टिविटी है। इंडस्ट्रीज से जुड़ी अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि इनमें बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल भी शामिल हैं जो लगातार मरीजों की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

मेडिकल कैंप के लिए बनती है प्लानिंग

 Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :- अधिकांश हॉस्पिटल ग्रुप में एवरेज ऑक्यूपेंसी लगभग 60-70% है। मेडिकल कैंप में आने वाले लोगों की संख्या पर मार्केटिंग डिपार्टमेंट बारीकी से नजर रखी जाती है। इसमें यह कैलकुलेट किया जाता है कि कैंप में आने वाले कितने प्रतिशत लोग अस्पताल में एडमिट होते हैं। इस बात की तिमाही योजनाएं होती हैं कि किस स्थान पर और किस विशेषता के लिए कितने कैंप या आउटरीच क्लीनिक आयोजित किए जाने हैं।

पश्चिम बंगाल, नॉर्थ ईस्ट हैं कैचमेंट एरिया

 Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :- ये शिविर न केवल उन क्षेत्रों में आयोजित किए जाते हैं जहां अस्पताल स्थित हैं, बल्कि अन्य राज्यों में भी आयोजित किए जाते हैं। खासकर पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्व जैसे ‘कैचमेंट एरिया’ के रूप में देखे जाने वाले राज्यों में। जबकि कुछ लोग लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य सुविधाओं या डायग्नोस्टिक सेटअप के साथ गठजोड़ करते हैं। दूसरों के पास अपने स्वयं के एजेंट होते हैं जो स्थानीय व्यवस्था करते हैं।

मरीजों को करते हैं टारगेट

 Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :- अंडमान में भले ही आबादी कम है लेकिन कई हॉस्पिटल चेन हर सप्ताह चेन मेडिकल कैंप आयोजित करते हैं। इनमें से अधिकतर अस्पताल एडवाइज के लिए सुपरस्पेशलिस्ट को बुलाते हैं। इसके बाद फिर मरीजों को बाकी प्रोसीजर के लिए मुख्य अस्पतालों में वापस भेजते हैं। वे दिल, हड्डी और जोड़ों की समस्याओं वाले मरीजों को आक्रामक तरीके से टारगेट करते हैं। एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि वाल्व रिप्लेसमेंट, स्टेंटिंग और घुटने के रिप्लेसमेंट की सलाह बहुत दी जा रही है। साथ ही न्यूरोलॉजी और यूरोलॉजी कैंप भी लोकप्रिय हैं।

बड़े डॉक्टरों के नाम पर प्रचार

 Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :- अंडमान में, स्थानीय समाचार पत्रों में मेडिकल कैंप के विज्ञापन चेन्नई स्थित ग्रुप की तरफ से दिए जाते हैं। दिल्ली स्थित ग्रुप एनसीआर और नॉर्थ में अधिक सक्रिय दिखते हैं। ऐसी जगहें जहां इलाज की बेहतर सुविधाएं नहीं हैं, मेडिकल कैंप को ‘प्रतिष्ठित डॉक्टरों’ के साथ कंसल्टेंसी के मौके के रूप में विज्ञापित किया जाता है। इन कैंपों में पर्सनल ट्रीटमेंट स्कीम के लिए हेल्थ चेकअप के जरिए ‘वर्ल्ड क्लास हेल्थ सर्विस’ देने का बाहर से डॉक्टरों को बुलाया जाता है।

फ्री हेल्थ चेकअप- दवाइयों का लालच

 Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :- अक्सर मुफ्त स्वास्थ्य जांच, कुछ मुफ्त दवाइयां या मुफ्त परामर्श का लालच दिया जाता है। कुछ शिविरों में कंसल्टेशन चार्ज देना पड़ता है जबकि रजिस्ट्रेशन फ्री है। कुछ सौ रुपये खर्च वाले टेस्ट जैसे ब्लड शुगर, हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर की जांच, ईसीजी, वजन और बीएमआई माप स्वास्थ्य समस्याओं का जल्द पता लगाने के नाम पर किए जाते हैं।

Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :- कई लोगों को मेन अस्पताल में ‘विशेष इलाज या सर्जरी’ के लिए भेजा जाता है। इसकी कीमत कई हजार से लेकर कुछ लाख रुपये तक हो सकती है। एक कॉरपोरेट अस्पताल में काम करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि इन प्रक्रियाओं की सिफारिश की जा रही है, इस पर कोई बाहरी ऑडिट नहीं किया जाता है कि ये प्रक्रियाएं आवश्यक या उचित थीं या नहीं।

कैंप से 15-20% कन्वर्जन भी बेहतर

 Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :- मार्केटिंग विभागों के पास कैंप में शामिल होने वाले रोगियों के डेटाबेस के साथ ही उनके डायग्नोसिस तक पहुंच है। इससे वे ईमेल, मैसेज और कॉल के माध्यम से उनको फॉलो कर लेते हैं। यदि रोगी आगे रुचि नहीं दिखाते हैं तो उन्हें संशोधित प्रपोजल और सीनियर डॉक्टरों के साथ फ्री अप्वाइंटमेंट, या दूरी की समस्या होने पर पिक-अप और ड्रॉप सुविधा प्रदान करने का भी ऑफर दिया जाता है। इसके साथ ही टेस्ट और प्रोसिजर पर छूट भी दी जाती है। फोकस इस बात पर होता है कि मेडिकल कैंप से ऑक्यूपेंसी कैसे बढ़ाई जाए। इसमें15-20% रोगियों में पेशेंट के रूप में कन्वर्जन को भी अच्छा माना जाता है।

Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :- एक अस्पताल के मार्केटिंग विभाग के डॉक्टर ने कहा कि हजारों किलोमीटर दूर के मेडिकल कैंप से लाए गए मरीजों के लिए सर्जरी या प्रक्रिया के बाद देखभाल की निरंतरता बहुत कम है। उनमें से अधिकतर बार-बार यात्रा करने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं और खराब फॉलो-अप की शिकायतें मिली हैं।

अस्पतालों को दिख रहा बाजार

 Private hospitals play the ‘game’ of admitting people through health camps  :- पेशेंट एडवोकेसी ग्रुप कैंपेन फॉर डिग्निफाइड एंड अफोर्डेबल हेल्थकेयर की मालिनी ऐसोला ने कहा कि वे मेडिकल कैंप का यूज उन समुदायों तक पहुंचने के लिए कर रहे हैं जो अन्यथा उनके अस्पतालों में कदम नहीं रखते। यह निश्चित रूप से बिजनसे से जुड़ा है। हालांकि, दूरदराज एरिया में हेल्थ सर्विसेज की कमी के विस्तार की आड़ में, अस्पताल एक अप्रयुक्त बाजार का शोषण कर रहे हैं जो असुरक्षित भी है। मालिनी का कहना है कि प्राइवेट सेक्टर भी ऐसे मॉडलों के माध्यम से सार्वजनिक प्रावधान में अंतर का लाभ उठा रहा है, जहां वे बिना किसी रोक-टोक और बिना किसी निगरानी के काम कर सकते हैं।