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Success Story: अब 1000 करोड़ का साम्राज्य, सपना पूरा करने के लिए मकान बेचा, फिर 110 करोड़ में कंपनी भी बिकी,

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Success Story: Now an empire of Rs 1000 crore :- विराज बहल की गिनती सफल उद्यमियों में होती है। वह वीबा फूड्स (Veeba Foods) के संस्थापक हैं। वह इस सीजन में शार्क टैंक इंडिया के नए जजों में शामिल हैं। व्यापार जगत में उनकी उल्लेखनीय यात्रा ने उन्हें सबसे अमीर उद्यमियों में से एक बना दिया है।

Success Story: Now an empire of Rs 1000 crore :- विराज बहल देश के सफल उद्यमी हैं। शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन में वह नए जज के रूप में शामिल हुए हैं। अमन गुप्ता, अनुपम मित्तल, नमिता थापर, विनीता सिंह और पीयूष बंसल भी जजों के पैनल में मौजूद हैं। विराज की कहानी साधारण शुरुआत से एक बड़े फूड बिजनेस तक पहुंचने की है। उन्‍हें लोग भारत के एफएमसीजी सेक्टर, खासकर सॉस बनाने वाली कंपनी वीबा फूड्स (Veeba Foods) के संस्थापक और एमडी के रूप में जानते हैं। 2013 में शुरू हुई वीबा फूड्स आज एक जाना-माना ब्रांड बन चुकी है। इसने भारतीय फूड इंडस्ट्री को नया रूप दिया है। लेकिन, विराज की राह आसान नहीं थी। उनके करियर में कई उतार-चढ़ाव आए। शुरुआती असफलताओं से लेकर आर्थिक तंगी तक विराज ने हर चुनौती का डटकर सामना किया। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ही उनकी सफलता की कुंजी रही है। आइए, यहां विराज बहल की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

फूड बिजनेस से बचपन से रहा नाता

Success Story: Now an empire of Rs 1000 crore :- विराज का फूड बिजनेस से बचपन से ही नाता रहा है। वह अक्सर अपने पिता की फैक्ट्री जाते थे। उनकी पहली नौकरी आहार दिल्ली ट्रेड फेयर में फन फूड्स के स्टॉल पर थी। छोटी उम्र से ही उन्हें फूड प्रोसेसिंग में रुचि हो गई थी। हालांकि, उनके पिता राजीव बहल चाहते थे कि विराज पहले खुद को आर्थिक रूप से सक्षम बनाएं। विराज ने मरीन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। एक अच्छी नौकरी हासिल की। सफल करियर के बावजूद वि‍राज का मन परिवार के बिजनेस में ही लगा रहा।

प‍िता ने फन फूड्स को बेच दिया

Success Story: Now an empire of Rs 1000 crore :- 2002 में अपने पिता की अनुमति के बाद विराज फन फूड्स में शामिल हो गए। राजीव बहल के नेतृत्व में कंपनी तेजी से आगे बढ़ रही थी। अगले छह सालों में विराज ने फन फूड्स को एक जाना-माना ब्रांड बनाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन, 2008 में विराज के लिए एक बड़ा मोड़ आया जब उनके पिता ने फन फूड्स को जर्मन कंपनी डॉ. ओटकर को 110 करोड़ रुपये में बेचने का फैसला किया। विराज इसके खिलाफ थे। लेकिन, कंपनी बिक गई। यह उनके लिए भावनात्मक और पेशेवर तौर पर एक बड़ा झटका था।

घर बेचकर नए बिजनेस के लिए जुटाए पैसे

Success Story: Now an empire of Rs 1000 crore :- इसके बाद विराज ने 2009 में ‘पॉकेट फुल’ नाम से रेस्टोरेंट बिजनेस शुरू किया। लेकिन, चार साल बाद यह बिजनेस घाटे में चलने लगा। 2013 तक सभी छह आउटलेट बंद हो गए। इस असफलता ने विराज को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया, लेकिन उनकी हिम्मत नहीं टूटी। पत्नी के सहयोग से विराज ने फिर से शुरुआत करने का फैसला किया। उन्होंने अपना घर बेचकर नए बिजनेस के लिए पैसे जुटाए। इस बार विराज फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में वापस लौटे और 2013 में नीमराणा, राजस्थान में वीबा फूड्स की स्थापना की। गुणवत्ता और नएपन पर फोकस करते हुए वीबा जल्द ही सॉस बनाने वाली प्रमुख कंपनी बन गई। इसने पूरे देश में पहचान बनाई।

कुछ ही सालों में जबरदस्त तरक्की

Success Story: Now an empire of Rs 1000 crore :- वीबा फूड्स ने पिछले कुछ सालों में जबरदस्त तरक्की की है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य रखा है। यह इसकी सफलता का प्रमाण है। हालांकि, वीबा फूड्स अभी तक शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं है, लेकिन कंपनी में विराज की बड़ी हिस्सेदारी और निवेशकों का समर्थन इसके विकास में मदद कर रहा है। विराज के नेतृत्व में वीबा ने न केवल फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में क्रांति लाई है, बल्कि भारतीय एफएमसीजी सेक्टर में भी एक बड़ा नाम बन गया है। उनकी कंपनी का नाम विराज की मां ‘विभा बहल’ के नाम पर है।