Arvind Kejriwal Resignation News :- अरविंद केजरीवाल राजनीति में आए भले बिना किसी राजनीतिक अनुभव के थे, लेकिन आज वह ‘कट्टर नेता’ बन चुके हैं. उन्होंने एक बार फिर यह साबित किया है. वह आए तो थे ‘राजनीति को बदलने’ के दावे के साथ, लेकिन लगता है राजनीति ने ही उन्हें बदल दिया.
केजरीवाल ‘कट्टर नेता’ कैसे बन गए
Arvind Kejriwal Resignation News :- जेल से बाहर निकलने के बाद की गई पहली जनसभा में 15 सितम्बर को अरविंद केजरीवाल ने जो ‘मास्टरस्ट्रोक’ खेला, उससे भी उन्होंने यही साबित किया कि अब वह ‘कट्टर नेता’ बन चुके हैं. उन्होंने 17 सितम्बर को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया. इस ऐलान के आगे और पीछे उन्होंने अपने भाषण में जिस तरह का समां बांधा, उससे भी उन्होंने अपनी ‘राजीतिक परिपक्वता’ का पूरा परिचय दिया और यह साबित किया कि विपरीत हालात को भी एक मजबूत संभावनाओं से भरपूर अवसर में कैसे बदला जा सकता है.
मुसीबत को अवसर में बदलने की कला केजरीवाल ने भी सीख ली
Arvind Kejriwal Resignation News :- अरविंद केजरीवाल जमानत पर हैं. जमानत की शर्तों के मुताबिक वह मुख्यमंत्री सचिवालय नहीं जा सकते. न ही जरूरी सभी फाइलों पर साइन कर सकते हैं. यानि मुख्यमंत्री का पद तो है, पर पावर नहीं. ऐसे में इस्तीफे का ऐलान कुछ खोए बिना बहुत कुछ पा लेने की राजनीतिक रणनीति ही कहा जाएगा. इस रणनीति का केजरीवाल को काफी फायदा भी पहुंच सकता है.
Arvind Kejriwal Resignation News :- अरविंद केजरीवाल का यह मास्टरस्ट्रोक माना जाएगा. आम आदमी पार्टी जिस हालात से गुजर रही है, उसमें ऐसे मास्टरस्ट्रोक की उसे जरूरत भी है. पार्टी का चुनावी प्रदर्शन उत्साहजनक नहीं रह रहा, उसके ज़्यादातर बड़े नेता काफी समय से जेल में रहे या हैं, हरियाणा में चुनाव हो रहे हैं, दिल्ली में करीब आ रहे हैं.
मास्टरस्ट्रोक कितना करेगा काम, हरियाणा में परखने का प्लान
Arvind Kejriwal Resignation News :- अरविंद केजरीवाल की इस्तीफे की रणनीति फौरी तौर पर हरियाणा में आप को फायदा पहुंचा सकती है. यह फायदा आम आदमी पार्टी के लिए बोनस होगा. राज्य की सभी सीटों पर पार्टी लड़ रही है. अगर फायदा नहीं हुआ तो रणनीति की परख तो हो ही जाएगी.
Arvind Kejriwal Resignation News :- दिल्ली के लिहाज से केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव पहले कराने की मांग भी कर दी, ताकि वक़्त के साथ उनकी ‘इमोशनल अपील’ का असर कम होने के खतरे से बचा जा सके. या फरवरी तक असर को बनाए रखने के लिए ज्यादा मेहनत न करनी पड़े.
दिल्ली में चुनाव का वक़्त फरवरी है, लेकिन केजरीवाल ने मांग की कि नवम्बर में ही महाराष्ट्र के साथ चुनाव करा दिए जाएं. क्यों नवम्बर में कराए जाएं, इसका उन्होंने कोई तर्क नहीं दिया.
कहां भगत सिंह और कहां…
Arvind Kejriwal Resignation News :- केजरीवाल ने अपनी जेल यात्रा की तुलना भगत सिंह की जेल यात्रा से करके भी अपने ‘कट्टर नेता’ होने का ही परिचय दिया है. भगत सिंह मुख्यमंत्री या किसी पद के लिए देशवासियों से सर्टिफिकेट नहीं मांग रहे थे. वह जिस वजह से जेल में रखे गए थे, उसकी तुलना भी आज किसी नेता के जेल में बंद होने की वजह से करना उस जज्बे के साथ नाइंसाफी है.
प्रैक्टिकल बात तो करें!
Arvind Kejriwal Resignation News :- केजरीवाल ने यह तो कह दिया कि अब जनता उनके ईमानदार होने का फैसला सुनाएगी, तभी वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे. पर, वह शायद भूल गए या जान-बूझ कर भुला बैठे कि जनता का फैसला अदालती मामलों में लागू नहीं होता. अदालत की नजर में वह आज भी बेईमान नहीं हैं. न ही उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़ने के लिए कहा गया है. बतौर सीएम उनके ऊपर कुछ शर्तें जरूर लगाई गई हैं. अगर चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी सत्ता में आई और अरविंद केजरीवाल ने फिर मुख्यमंत्री बनने का फैसला किया तब भी इस बात कि पूरी संभावना बनी ही रहेगी कि कोर्ट का आज का निर्देश (अगर इसमें कुछ बदलाव नहीं हुआ तो) उन्हें आधा-अधूरा सीएम ही बनाए रखे. इसमें बदलाव कोर्ट के आदेश से ही हो सकता है. साथ ही उनके ईमानदार या बेईमान होने का असली सर्टिफिकेट भी कोर्ट से ही आएगा.
Arvind Kejriwal Resignation News :- केजरीवाल को मार्च में गिरफ्तार किया गया था. जेल जाने से पहले उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला नहीं किया. हालांकि वह कानूनन इसके लिए बाध्य नहीं थे. यह नैतिकता का सवाल है. उन्होंने सीएम की कुर्सी पर रहते हुए जेल जाने वाला पहला नेता बनना तय किया. वह करीब छह महीने जेल में रहे. इस दौरान भी कभी उनके मन में इस्तीफे का ख्याल नहीं आया. उन्होंने कोशिश की उन्हें जेल से ही मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी निभाने दी जाए. 22 मई, 2024 को उन्होंने कहा भी था कि वह इस्तीफा नहीं देंगे. इसके पीछे उन्होंने दलील दी थी कि अगर वह इस्तीफा देते हैं तो यह एक मिसाल बन जाएगी और केंद्र सरकार किसी भी विपक्षी मुख्यमंत्री को जेल में डाल देगी, ताकि वह इस्तीफ़ा दे दे. यही बात उन्होंने आज भी दोहराई. लेकिन केजरीवाल और हेमंत सोरेन (जिन्होंने जेल जाने से पहले इस्तीफा देने का फैसला लिया था) को छोड़कर भी विपक्ष के कई मुख्यमंत्री हैं जो बिना जेल गए शासन चला रहे हैं और भाजपा के खिलाफ आक्रामक राजनीति भी कर रहे हैं.
Arvind Kejriwal Resignation News :- नई तरह की राजनीति’ शुरू करने का दावा कर जब उन्होंने अन्ना हज़ारे की भी इच्छा की परवाह नहीं करते हुए आम आदमी पार्टी बनाई थी, तब वाकई उन्होंने दिल्ली के लोगों में ‘अलग तरह की राजनीति’ की उम्मीद जगा दी थी. उन्हें मिला समर्थन भी इस बात का ही इशारा है. लेकिन, धीरे-धीरे केजरीवाल की राजनीति पर भी पारंपरिक रंग ही चढ़ता गया. बीते 12 वर्षों में यह रंग और गहरा होता ही दिखा है. इस दौरान आम आदमी पार्टी और खुद अरविंद केजरीवाल को जिस तरह से लोगों ने बदलते देखा, उससे भी यही बात साबित होती है. यह बात अलग है कि इसके बावजूद लोगों ने उन्हें नकारा नहीं है.
आप कैसे पार्टियों की भीड़ में मिल गई
Arvind Kejriwal Resignation News :- आम से ‘खास’ आदमी बन जाना, लाल बत्ती, महंगी गाड़ी, आलीशान बंगले से दूर रहने का वादा भुला देना, पार्टी को चलाने का तरीका बदलते जाना, चुनाव में मन-मर्जी से टिकट बांटना, प्रचार-प्रसार पर जम कर जनता का पैसा खर्च करना, जितना करना उससे कई गुना बढ़ा-चढ़ा कर वादे करना (दिल्ली में आज भी लोग सड़क पर बारिस के पानी में डूब कर मर रहे हैं), चुनाव जीतने के बाद दर्शन नहीं देना (पंजाब में लोकसभा चुनाव के दौरान कई क्षेत्रों में आप विधायकों के बारे में जनता की यह शिकायत थी) जैसी कई बातें हैं जो यही जताती हैं कि कई पार्टियों की भीड़ में आम आदमी पार्टी भी एक पार्टी बन कर रह गई है.
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