Hero Electric Okinawa Benling EV Subsidy Scam :- गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने FAME-2 स्कीम के तहत 297 करोड़ रुपये की सब्सिडी धोखाधड़ी से पाने के आरोप में हीरो इलेक्ट्रिक वीइकल्स, बेनलिंग इंडिया एनर्जी एंड टेक्नॉलजी और ओकिनावा ऑटोटेक इंटरनैशनल के कैंपस की तलाशी ली है। जांच के दौरान डिजिटल डेटा और अन्य सामग्री बरामद की गई हैं।
- गलत तरीके से झूठ बोलकर सब्सिडी ली
- चीन से कॉम्पोनेंट्स मंगाने का आरोप
- तीनों कंपनियों की हालत खराब हो गई है
Hero Electric Okinawa Benling EV Subsidy Scam:- ईवी सब्सिडी घोटाले को लेकर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों के खिलाफ शिकंजा कसा जा रहा है। इस मामले में गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) ने हीरो इलेक्ट्रिक, बेनलिंग इंडिया और ओकिनावा ऑटोटेक के कार्यालयों पर छापा मारा है। इन तीनों कंपनियों पर सरकार की FAME-II योजना के तहत 297 करोड़ रुपये की सब्सिडी में धोखाधड़ी का आरोप है।
नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई
Hero Electric Okinawa Benling EV Subsidy Scam :- एसएफआईओ को शक है कि इन कंपनियों ने चीन से पुर्जे आयात किए, जबकि नियमों के मुताबिक उन्हें भारत में ही बनने चाहिए थे। तलाशी में कई दस्तावेज और डिजिटल डेटा जब्त किया गया है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने इस रेड की जानकारी दी। मंत्रालय के मुताबिक, तलाशी के दौरान कई सबूत मिले हैं, जिनमें डिजिटल डेटा, किताबें और अन्य डॉक्यूमेंट्स शामिल हैं। जांच अभी जारी है। ये तीनों कंपनियां FAME-II योजना के तहत सब्सिडी लेने के लिए जरूरी नियमों का पालन नहीं कर रही थीं। एसएफआईओ की शुरुआती जांच में पता चला है कि कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन किया है।
कुछ शर्तें, जिनका पालन करना जरूरी
Hero Electric Okinawa Benling EV Subsidy Scam :- आपको बता दें कि फेम-II योजना साल 2019 में शुरू हुई थी। इसका मकसद भारत में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड गाड़ियों के अडेप्टेशन और सेल को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत कंपनियों को सब्सिडी मिलती है। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें हैं। गाड़ियों के कुछ जरूरी पुर्जे भारत में ही बनने चाहिए। लेकिन इन तीनों कंपनियों ने चीन से पुर्जे मंगाए और नियमों का उल्लंघन किया। ऐसा करके उन्होंने धोखाधड़ी से सब्सिडी हासिल की।
‘झूठ बोलकर सरकार से सब्सिडी ली’
Hero Electric Okinawa Benling EV Subsidy Scam :- गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय की तरफ से बयान में कहा गया कि तीनों कंपनियों ने सब्सिडी का दावा करने के लिए मंत्रालय को लागू दिशा-निर्देशों के अनुपालन को भ्रामक रूप से दिखाया था। इसे बाद में गलत और झूठा पाया गया था। यानी कंपनियों ने झूठ बोलकर सरकार से सब्सिडी ली। जांच में पाया गया कि चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP) दिशानिर्देशों के तहत कई प्रतिबंधित पुर्जे सीधे या परोक्ष रूप से चीन से आयात किए गए थे। यह योजना के नियमों के खिलाफ था।