Budget 2025 Increasing the income tax exemption limit will increase consumption :- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को फाइनेंशियल ईयर 2025-26 का बजट पेश किया। इस दौरान उन्होंने 12 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री करने की घोषणा की। उनकी इस घोषणा से मिडिल क्लास गदगद है। एनबीटी के साथ खास बातचीत में सीतारमण ने बताया कि यह फैसला कैसे हुआ।
Budget 2025 Increasing the income tax exemption limit will increase consumption :- नई दिल्ली: ईमानदार करदाताओं का सम्मान करते हुए इनकम टैक्स में रिलीफ दी गई है। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी से दिशानिर्देश लिया गया। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की अर्थव्यवस्था दमदार बनी हुई है और हम आगे भी अच्छी ग्रोथ दर्ज करते रहेंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार आठवां बजट पेश करने के बाद NBT को दिए विशेष साक्षात्कार में ये बातें कहीं। प्रस्तुत हैं इसके मुख्य अंश:
क्या आपने सिर्फ यह सोचकर टैक्स रिलीफ दी कि इससे कंजम्पशन बढ़ेगा, लोग चीजों की खरीदारी बढ़ाएंगे?
इसके पीछे मुख्य बात यह थी कि हमें ईमानदार करदाताओं का सम्मान करना चाहिए, जो देश के विकास में, राष्ट्र निर्माण में योगदान कर रहे हैं। कंजम्पशन भी इससे बढ़ेगा।
टैक्स रिबेट का प्रस्ताव लेकर आप पीएम नरेन्द्र मोदी के पास गईं, तो वहां किस तरह की चर्चा हुई? क्या 12 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री करने की बात पहले से तय कर ली गई थी?
उनका गाइडेंस यह था कि हम ऐसा किस तरह करने जा रहे हैं। इसका क्या तरीका होगा। रेवेन्यू डिपार्टमेंट और सीबीडीटी सहित सभी पक्षों से विचार-विमर्श के बाद हम उनके सामने प्रस्ताव लेकर गए। शुरू में 9-10 लाख रुपये तक के बारे में भी सोचा गया, लेकिन फिर उनके दिशानिर्देश लेकर तय किया गया कि 12 लाख होना चाहिए।
सैलरीड क्लास की आमतौर पर यह शिकायत रहती है कि वह तो ईमानदारी से टैक्स चुकाता है, लेकिन बदले में उस हिसाब से उसे अच्छे पब्लिक स्कूल या अस्पताल जैसी जरूरी सुविधाएं नहीं मिल पातीं, कोई अनएंप्लॉयमेंट बेनेफिट नहीं है। आप इस आलोचना को किस तरह देखती हैं?
मैं तो चाहती हूं कि ऐसी सेवाएं मिलें। लेकिन यह सब पूरी तरह केंद्र सरकार के दायरे में नहीं है। लोकल बॉडीज हैं, राज्य सरकारें हैं, चुने हुए जन प्रतिनिधि हैं। सारी चीजें केंद्र सरकार नहीं चला रही। इन सभी को मिलकर बेहतर सेवाएं देनी चाहिए।
जिस तरह की टैक्स रिलीफ आपने दी है, उसको लेकर यह भी कहा जा रहा है कि टैक्स बेस और घटेगा। इससे आगे चलकर समस्या हो सकती है। आपका क्या कहना है?
लेकिन क्या यह सही होगा कि जो लोग टैक्स चुका रहे हैं, उन्हीं लोगों पर और ज्यादा टैक्स बढ़ाया जाता रहे? यह भी तो सही नहीं है। इसलिए हमने कहा है कि हमें राहत देनी होगी। हमने राहत दी है क्योंकि हम टैक्सपेयर का सम्मान करते हैं। हालांकि टैक्स बेस बढ़ाने की जिम्मेदारी भी हम पर है ताकि नए लोग आते रहें।
सैलरीड क्लास को बजट में जो टैक्स रिलीफ मिली है, आपने कहा कि इससे 80% के आसपास टैक्सपेयर्स को लाभ मिलेगा और कंजम्पशन बढ़ेगा। लेकिन जो बाकी लोग हैं, उनकी ओर से खपत कैसे बढ़ेगी क्योंकि ओवरऑल कंजम्पशन स्लो है?
Budget 2025 Increasing the income tax exemption limit will increase consumption :- हर एक सेगमेंट के लिए स्कीमों के जरिए बेनेफिट पहुंचा रहे हैं। किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए लोन लिमिट 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की गई है। स्टैंडर्ड लोन स्कीम को हमने रिवैंप किया है, इसमें और 50 करोड़ लोगों को लाया जाएगा। कई अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम्स हैं। स्टार्टअप्स को और 10 हजार करोड़ रुपये फंड ऑफ फंड्स के जरिए दिए जाएंगे। पिछली बार 2016 में ऐसा किया गया था। इसके जरिए 2 लाख से अधिक रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स को मदद मिली। रूरल एरिया में सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को मदद दी जा रही है, जिससे वे अपना बिजनेस कर रहे हैं। हम हर ग्रुप को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं जिससे उनको आसानी से अफोर्डेबल क्रेडिट मिल सके।
बजट में आपने नए इनकम टैक्स बिल की बात की थी। इसमें क्या होगा? केवल भाषा सरल की जाएगी या टैक्सपेयर्स के लिए कुछ नया होगा? इनकम टैक्स रूल्स में बदलाव होगा?
Budget 2025 Increasing the income tax exemption limit will increase consumption :- अप्रोच यह है कि इनकम टैक्स एक्ट को 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से बनाया जाए। अब टेक्नॉलजी का दौर है और टैक्सपेयर काफी चीजें खुद करते हैं। इसलिए लोगों को इनकम टैक्स रूल्स ऐसे होने चाहिए, जो लोग खुद समझ लें। सिस्टम इतना सरल होना चाहिए कि लोगों को परेशानी न हो। भाषा सरल बनाने पर भी हम काम कर रहे हैं। कई मुद्दे आपस में जुड़े हैं। एक कोट में किसी चीज की व्याख्या अलग होती है, दूसरे में अलग। उदारीकरण के बाद के दौर में कुछ चीजें बदलीं और फिर कोविड के बाद बदलाव आया। और हर बार 1965 के मूल कानून में एक और चीज जोड़ दी जाती रही। सवाल यह है कि क्या ये चीजें अब भी प्रासंगिक हैं? इन सभी बातों पर समग्रता से विचार करने की जरूरत पड़ी है।
इकनॉमिक सर्वे में अगले वित्त वर्ष के लिए 6.3% से 6.8% तक की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान दिया गया है। वैश्विक घटनाक्रम जिस तरह का है, आने वाले कुछ महीनों या वर्षों में किस तरह की ग्रोथ आप देख रही हैं?
वर्ल्ड बैंक और IMF ने साफ कहा है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। सारी बाधाओं और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद आज भी हमारी इकॉनमी बहुत दमदार है। फंडामेंटल्स मजबूत हैं। इसलिए हमारी ग्रोथ होती रहेगी।
इकॉनमी की ग्रोथ को सरकारी पूंजीगत खर्च से ही लंबे समय से सहारा मिल रहा है। प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडिचर नहीं बढ़ रहा है। इकनॉमिक सर्वे में भी यह बात कही गई। प्राइवेट सेक्टर क्यों नहीं हाथ बढ़ा रहा?
सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर जारी रहेगा। पिछले साल से हमने इसे घटाया नहीं है। बढ़ाया ही है। प्राइवेट सेक्टर को हाथ बंटाने से कोई रोक नहीं रहा। इंडस्ट्री को खुद निर्णय करना है। यह उनका कमर्शल डिसीजन होगा कि वे कब आगे आना चाहते हैं और कैपेसिटी बढ़ाना चाहते हैं या नई कैपेसिटी बनाना चाहते हैं।
इकनॉमिक सर्वे में कहा गया कि कंपनियों का मुनाफा जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, उस हिसाब से वे कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ा रहीं। क्या यह वजह हो सकती है, जिसके चलते कंजम्पशन डिमांड नहीं बढ़ रही है?
Budget 2025 Increasing the income tax exemption limit will increase consumption :- यह सही है कि 2019 में कॉरपोरेट टैक्स रेट घटाए जाने के बाद फंसे हुए कर्ज और दूसरी चीजों से काफी हद तक निपटा गया। बैंकों और कंपनियों के बीच ट्विन बैलेंस शीट प्रॉब्लम को दूर किया गया। कंपनियां मुनाफा बना रही हैं और कुछ न कुछ इनवेस्टमेंट कर रही हैं। डिमांड और एक्सपोर्ट की संभावनाओं के आधार पर वे फैसले करती हैं। यह भी सही है कि ग्लोबल लेवल पर एक्सपोर्ट में चुनौतियां हैं। एक्सपोर्ट में तेजी लानी होगी। कुलमिलाकर फैसला उन्हें ही करना है। बाकी प्रॉफिट और सैलरी में डिफरेंस की जो बात है, वह चीफ इकनॉमिक एडवाइजर ने कही है।