Success Story This is how the idea came :- स्वाति भार्गव ने गोल्डमैन सैक्स की नौकरी छोड़कर कैशकरो नाम का प्लेटफार्म शुरू किया। यह प्लेटफार्म भारतीयों को ऑनलाइन शॉपिंग पर कैशबैक और कूपन देता है। दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा भी इसमें इनवेस्टर रहे हैं। 2024 तक कैशकरो का रेवेन्यू 300 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। अगले सालों में टारगेट 500 करोड़ रुपये का रखा है।
Success Story This is how the idea came :- स्वाति भार्गव ने छोटे से शहर अंंबाला से निकलकर बड़ी कामयाबी हासिल की है। वह 300 करोड़ रुपये का बिजनेस खड़ा कर सफल उद्यमी बन गई हैं। गोल्डमैन सैक्स जैसी बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़कर उन्होंने कैशकरो (CashKaro) नाम का कैशबैक और कूपन प्लेटफॉर्म शुरू किया। इस स्टार्टअप को रतन टाटा का भी समर्थन मिला। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने 300 करोड़ रुपये की कमाई की। अब यह 500 करोड़ रुपये के टारगेट की ओर बढ़ रही है। आइए, यहां स्वाति भार्गव की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई
Success Story This is how the idea came :- स्वाति भार्गव की कहानी हरियाणा के एक छोटे से शहर अंबाला से शुरू होती है। अपनी पढ़ाई में हमेशा से तेज तर्रार स्वाति को सिंगापुर में 11वीं और 12वीं कक्षा पूरी करने के लिए स्कॉलरशिप मिली। इसके बाद उन्हें स्कॉलरशिप के साथ लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) में पढ़ने का मौका मिला। लंदन में पढ़ाई के दौरान स्वाति हमेशा सोचती थीं कि वह वहीं काम करेंगी। अच्छा पैसा कमाएंगी। अपने परिवार का सहयोग करेंगी। एलएसई से ग्रेजुएशन के बाद स्वाति ने गोल्डमैन सैक्स में इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में नौकरी शुरू कर दी। वहां उन्होंने पांच साल काम किया। सफलता मिलने के बावजूद स्वाति के मन में खुद का कुछ करने की इच्छा जगने लगी। उन्हें लगने लगा कि नौकरी की व्यस्तता के कारण उनकी अपनी ख्वाहिशें पीछे छूट रही हैं।
ऐसे आया आइडिया
Success Story This is how the idea came :- कैशकरो का आइडिया स्वाति को हनीमून के दौरान आया। स्वाति और उनके पति रोहन भार्गव हनीमून पर ब्रिटेन गए थे। वहां उन्होंने क्विडको (Quidco) नाम की एक कैशबैक साइट इस्तेमाल की और 10,000 रुपये का कैशबैक पाया। इससे उन्हें भारत में भी ऐसा ही एक प्लेटफॉर्म बनाने का आइडिया आया। रोहन भार्गव कैशकरो के सह-संस्थापक भी हैं। 2013 में ब्रिटेन में पोरिंग पाउंड्स नाम की कैशबैक साइट सफलतापूर्वक लॉन्च करने के बाद स्वाति और रोहन ने भारत में कैशकरो की शुरुआत की। छोटे शहरों की जरूरतों को समझते हुए उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म का विस्तार किया।
रतन टाटा ने किया निवेश
Success Story This is how the idea came :- कैशकरो के लिए बड़ा पल तब आया जब रतन टाटा ने कंपनी में निवेश किया। स्वाति ने मुंबई के ताज होटल में रतन टाटा को अपना आइडिया प्रेजेंट किया था। थोड़ी सी प्रेजेंटेशन के बाद टाटा ने कहा था, ‘एक ऐसे देश में जो पैसे बचाना पसंद करता है, आप मुफ्त पैसे दे रहे हैं। इसमें पसंद न करने जैसा क्या है?’ उनके समर्थन से स्टार्टअप की विश्वसनीयता और बढ़ गई।
सरपट दौड़ी कंपनी
Success Story This is how the idea came :- वित्तीय वर्ष 2023-24 तक कैशकरो ने 300 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल कर लिया था। अब कंपनी का लक्ष्य आने वाले वर्षों में 500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त करना है। स्वाति आईपीओ लाने की संभावना के बारे में भी संकेत दे चुकी हैं। स्वाति की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। उनका सफर बताता है कि कड़ी मेहनत, दूरदृष्टि और सही समय पर लिया गया फैसला सफलता दिला सकता है। कैशकरो आज एक बड़ा ब्रांड बन गया है। इसका श्रेय स्वाति की मेहनत और लगन को जाता है।